Tuesday, November 3, 2009

ललक ...................

" किस और हम चले थे ,

किस और आज पहुच गए.

जिंदगी के इस भूलभुलैया में न जाने कहाँ खो गए.

सोच कुछ बड़े होगे तो सपने पूरे होगे ,

बड़े हुए तो हज़ार और चिंतायों से दो चार हुए.

अब जीना सीख गए की,

जो मिल रहा उसी पर खुश रह लो ,

कल की ख़ुशी के इंतज़ार में, आज को न जाया करो,

ठीक हैं कुछ परेशानिया हैं आज, उनका भी हंसकर सामना करो.

ज़िन्दगी फिर मजे में कटेगी,और तुम्हारी हर इच्छा पूरी होगी. "

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