Monday, November 16, 2009

क़र्ज़ तेरा जो हैं हम पर उसको चुकाना हैं ......

तेरे लाल फिर निकल पड़े हैं लेकर हाथो मैं तिरंगा, कोई इंग्लैंड , कोई रसिया , कई पहुच गए अमेरिका ! बस एक ही मकसद हैं दिल में , वापस लाना हैं गौरव अपने देश का.

करने पड़े कितने ही जतन , विश्व पटल पर फिर छाना हैं

तुझे बीता हुआ कल मानने वालो का , फिर से मस्तक झुकाना हैं.

कुछ देर हुई और भटके भी हम , माँ !मगर तेरी मिटटी की ताकत ने फिर खड़ा कर दिया हमें माँ.

हम जहाँ भी रहे और जो भी करे , तेरे सम्मान की परवाह हैं माँ !

सबसे पहला तेरा हित , फिर और कोई बात करेंगे माँ.

जो भी डालेगा बुरी नज़र तुझ पर , १ अरब तेरे बच्चे दीवार बन खड़े हो जायेंगे,

प्यार से समझ गए तो ठीक , वर्ना चीर के रख देंगे , माँ.

अब चिंता की कोई बात नहीं , बच्चे तेरे बड़े हो गए माँ,

तेरी शान के खातिर अब सब, कफ़न बाँध के खड़े हो गए माँ !

No comments:

Post a Comment