Monday, April 12, 2010

अगले जन्म मोहे बी पी ओ की नौकरी मत दीजियो..........

घर वाले जब सोते हैं, मेरी सुबह तब होती हैं.
रात के अँधेरे में मेरी शिफ्ट शुरू होती हैं.
उल्लुओ की तरह रात रात बहर जागकर, हालत मेरी खस्ता हो गयी हैं.
अपने घर पर ही में पराया हो गया हूँ, पड़ोसियों के लिए में गुमशुदा हो गया हूँ.
फ़ोन पर बात करते करते अब कान भी घरघराने लग गए हैं.
अंग्रेजो से बात करते करते हिंदी भी भूल गए हूँ.
क्या करू ! इस नौकरी का, मम्मी की रोटी में भी बर्गर की खुशबू ढूँढने लगा हूँ.
अर्ज़ सुन ले ! भगवन मेरी - अगले जन्म इन बी पी ओ से छुटकारा दिला देना.
दिन की किसी नौकरी का मेरे लिए इंतज़ाम कर देना.

( यह कविता समप्रित हैं सभी लोगो को जो कॉल सेंटर में नौकरी करते हैं)

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