Wednesday, April 21, 2010

कारवां का सफ़र बड़ा लम्बा हैं..............

कौन कहता हैं दुनिया बुरी हो गयी हैं, अब भी इंसानियत बची हुई हैं.


हर गली चौराहे पर इमान का झंडा बुलंद किये कुछ लोग अब भी  खड़े हैं .

थोडा भ्रस्टाचार , थोडा बैमानी , थोड़ी घूसखोरी और थोडा अत्याचार हैं तो क्या हुआ , अब भी इस दुनिया में बहुत ईमानदार बचे हुए हैं.

माना अब रावणों की तादाद ज्यादा हो गयी हैं , कुम्भ्कर्नो की रात लम्बी हो गयी हैं .
मगर अब भी कुछ राम बचे हुए हैं , धनुष बाण लिए खड़े हैं .

रिश्ते - नाते बैमानी हो गए हैं , हर तरफ स्वार्थ का राज हो गया हैं.
मगर अब भी कुछ भरत चुपचाप जी रहे  हैं.

माना की हर तरफ घुप्प अँधेरा छाया हैं , रौशनी की दूर दूर तक उम्मीद नहीं हैं .
मगर अब भी कुछ लोग दीये लेकर हर तरफ बिखरे पड़े हैं .

ना उम्मीदी का दौर अभी ख़त्म नहीं हुआ हैं . बस थोडा अँधेरा घना हो गया हैं .
बस अब जल्द ही ये अँधेरा छटने वाला हैं . सुबह की पहली किरण छटा बिखेरने को तैयार हैं.

मशाल थामे कुछ लोग आगे बड़ चले हैं, ये अँधेरा कटने वाला हैं .
आ जाओ की अब तुम्हारा साथ चाहिए क्यूंकि इस कारवां का सफ़र बड़ा लम्बा हैं .

8 comments:

  1. बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.

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  2. मशाल थामे कुछ लोग आगे बढ़ चले हैं, ये अँधेरा कटने वाला हैं .
    आ जाओ कि अब तुम्हारा साथ चाहिए क्योंकि इस कारवां का सफ़र बड़ा लम्बा हैं .
    ...... आपकी रचना लोक कल्याण की भावना से ओत-प्रोत होकर वर्तमान परिद्रश्य में फैले अंधेरों में उजाले की तलाश परिलक्षित होती है...
    निसंदेह आज भी परोपकारी, सच्चे इंसानों के कमी नहीं है, बस अगर वे मूक बनाना छोड़ कर आगे बढ़ जाय तो फिर कोई उन्हें रोकने वाला नहीं होगा ... सभी साथ होंगे...
    बहुत अच्छे भाव .... लिखते रहिये ....
    हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं ..

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  3. Dear Kavita, Sanjay, Zeal
    aap sabka comment dene ke liye tahedil se shukriya. Bas ek koshish shuru ki hain, dekhate hain kaha tak ye karvan chalta hain

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  4. बिलकुल सही कहा है आपने...
    आखिर धरती के टिके रहने की कोई तो वजह है...सच्चाई, ईमानदारी, प्रेम जैसी भावनाएं मर ही नहीं सकती हैं....क्यूंकि ये अन्तःकरण में बसती हैं...और जब तक अन्तःकरण की आवाज़ है ..ये रहेंगी ही....बुरा से बुरा इंसान अपने बच्चे से प्रेम करता ही है और शायद इसलिए वो चाहता है की उसका बच्चा अच्छा बने ...
    नहीं तो सारे डाकू अपने बच्चों को डाकू न बनाते...!!
    बहुत ही सुन्दर, आशा से ओत-प्रोत कविता..
    धन्यवाद...

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  5. great poem. love to read it and its gives a new way and approach to see the life. thanks a lot.

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  6. Rajendra Kumar JoshiMay 5, 2010 at 1:48 AM

    Karvan door tak chlega Lage raho Anand Bhai

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  7. bahut achchhe bhav hain. lage rahiye ham aapke saath hain.

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