Monday, April 2, 2012

मेरी कविताये .........

कभी सोचता हूँ कविताये लिखना बंद कर देता हूँ, 
कौन पढता  हैं अब यहाँ, न छंद हैं उनमे , न ढंग की कोई तुकबंदी ,
किसके पास समय हैं अब हमारी इन कविताओ को पढने  का,  
फुर्सत के चंद लम्हे मिलते ही कहाँ हैं, 
इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में , 
ऊपर से इन कविताओ का मर्म समझने को, 
दिमाग में बेफिजूल बोझ देने का, 
लेकिन फिर मन नहीं मानता , 
कभी कभार फिर बैठ ही जाता हूँ, 
कागजो को कुछ काला नीला करने को, 
कुछ बन पड़ा तो अपलोड कर देता हूँ, 
नहीं तो कागज को  हवाई जहाज बना कर, 
बिटिया के साथ घर की बालकोनी से उड़ा देता हूँ. 
फिर भी उम्मीद बंधी हैं, 
क्या पता कब कोई इन्टरनेट खोल के पढ़ेगा मेरी कविताये, 
वैसे पता हैं इन्टरनेट में उसके पास मेरी कविताओ को पड़ने से ज्यादा और जरूरी काम हैं, 
मेरे कविताओ के पन्ने जिन्हें मैंने जहाज बना के उड़ा दिए हैं, 
उठा के पढने की जहमत ही शायद को उठाएगा, 
किताब बना कर छपवा भी दू तो क्या होगा, 
लोग चेतन भगत को पढने ज्यादा पसंद करेंगे, 
मेरी कविताओ से क्या फायदा होने वाला. 
मगर मैं अपने भावनाओ  को यूँ ही गाहे बगाहे ,
शब्दों का आकार देता रहूँगा .........
क्यूंकि ये मन मुझे बैचैन करता रहता हैं, 
 कुछ लिखूं नहीं तो सोने नहीं देता हैं, 
पढ़ते रहिये , अच्छा लगे तो कभी कभी कोमेंट देते रहिएगा , 
वर्ना मैं तो लगा ही रहूँगा, 
आदत हैं मेरी लिखना, अब छूटने का कोई प्रश्न नहीं उठता ..............

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