Monday, May 28, 2012

क्या बदला ? तब और अब में ...........


बचपन में जब चाँद को छूने की बात करते थे
तारो से आगे जाने की सोचते थे
पर्वत शिखरों को खेल खेल में नापने की शर्त लगाते थे
दुनिया में सब चीजों को पाने के  कितने आसान से तरीके सुझाते थे
ख्वाबो में जीते थे और हर चीज़ को दिल से अपना समझते थे
दोस्तों पर हमेशा जान छिडकने को तैयार रहते थे
माँ बाप की डांट को सुनकर उन्हें हम हिटलर समझते थे,  
और अब.......
 हम जरा उस दहलीज को लाँघ कर आगे बढ गए हैं
जो चाँद तब हमें मुट्ठी में लगता था
अब हम उसकी बात भी नहीं करते हैं
तारे तोडना जैसे बात सोच सोच कर उसे हम अपना बचपना समझ कर भूल जाते हैं
पर्वत शिखरों पर चड़ने की बात तो दूर, तीसरी मंजिल पर जाने के लिए लिफ्ट दूंदते  हैं
ख्वाबो में जीने की आदत कब की धूमिल हो गयी हैं
दोस्तों को  मिले देखे वर्षो बीत गए हैं, नए दोस्तों के लिए नफा नुकसान का ख्याल पहले रखते हैं
माँ बाप की झिडकियो का मतलब अब समझ में आता हैं
बदला क्या हैं?
हम बड़े हो गए हैं
सिर के कुछ बाल सफ़ेद हो गए हैं
जिंदगी के कुछ अनुभव हमें हो गए हैं
हर चीज़ को अपने फायदे के तराजू में तोलने लग गए हैं

Thursday, May 24, 2012

क्या अच्छा , क्या बुरा ?

संसार में अच्छा खोजने के लिए निकलोगे , 
तो हर जगह अच्छाई नजर आएगी. 
बुरा खोजने निकलो तो हर जगह, 
कमियों का अम्बार मिलेगा . 
क्यूंकि जो आपके लिए अच्छा हैं, 
वो सकता हैं अगले के लिए बुरा हो , 
और जो आपके लिए बुरा हैं , 
वो दुसरे के लिए अच्छा हो. 
इसलिए उचित यही हैं, 
सब अच्छा हैं मान के चलो, 
ज्ञान को बढ़ाते चलो, 
फिर अपने विवेक से अच्छे - बुरे की तुलना करो. 
बुरे से बचो और दुसरे को बचाओ , 
अच्छाई के प्रकाश से बुरे के अंधकार को ढकने का प्रयास  करो. 

Sunday, May 13, 2012

मशाल

ताकते रहेंगे एक दुसरे को हम , 
की वो पहल करेगा तो हम भी साथ हो लेंगे, 
कब तक मशाल जलने का हम इन्तेजार करते रहेंगे, 
जलाएंगे एक एक माचिस की तीली भी खुद से हम , 
रोशनी तो खुदबखुद हो जाएगी.