Wednesday, October 15, 2014

जागते रहो और जगाते रहो ………



जागते रहो और जगाते रहो  ,
वक्त के साथ कदम मिलाते रहो ,

तरकश के तीरो को अपने मांजते रहो ,
खुद को समय के अनुरूप ढालते चलो ,

जुटे रहो ज़िन्दगी को बेहतर से बेहतरीन बनाने के लिए ,
कसर कोई छोडो मत अपने सपने पूरे करने के लिए ,

ज़िन्दगी ये नियामत हैं उस खुदा की ,
मायने इसे देते रहो ,

आये कोई अड़चन तो उसे भी हँसते हुए सहो ,
खुद को हर रोज़ तरशाते चलो ,

अवसर दिया हैं ईश्वर ने एक हमें जो ,
इसको सार्थक करते चलो ,

जूनून और ज़िद करो की ज़िन्दगी सुधरनी चाहिए ,
अपने सपने तो पूरे करो और दूसरो की भी मदद करते चलो,

सीखते रहो और सिखाते रहो ,
अपना कारवां-ए -ज़िन्दगी चलाते रहो,

बहुत मिलेंगे रोकने टोकने वाले मदमस्त धुन में चलते रहो ,
खुशियाँ बाँटते चलो और किसी का गम साझा करो,

जागते रहो और जगाते रहो।  

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