Wednesday, December 30, 2015

2016 - स्वागत हैं !



 अभिनंदन करते नव वर्ष का ,  मंगलमय हो सबका जीवन !
फलीभूत हो सब आशाएँ , तनावरहित हो  जीवन !!

366 दिन  लेकर आया हैं   ये नूतन वर्ष , कर्मो की कूची से भरो  इसमें रंग !
निराशा के बादल छटे , नवउल्लास से भरे सबका मन !!

स्वस्थ रहे , जीवन जीये - मनभेद न हो किसी के संग !
सपने पूरे करे अपने , लक्ष्य से न डिगे कदम !!

खुश रहे और खुशियाँ बाँटे ,  उन्नति करे २०१६ के संग !
सब मोर्चे फतह करे , भरे कामयाबी के रंग !!

सुःख , शांति और समृद्धि  का सानिध्य रहे !
घर , परिवार , नौकरी और व्यापार खूब फले फूले !!

उम्मीदों को नए पंख लगे !
हर उपवन में फूल खिले !!

करे "आनन्द " यही दुआ रब से !
सबको जीवन का  सही अर्थ मिले !!


शुभ स्वागतम 2016……HAPPY NEW YEAR-2016

Monday, December 28, 2015

मैं २०१५ हूँ, जाने से पहले कुछ कहना चाहता हूँ ...................





समय की मशाल अपने बड़े भाई २०१४ से लेकर मैं भी १ जनवरी को चला था !
सीने में ३६५ दिनों का समय आप सबके साथ बाँटने निकल पड़ा था !!

२६ जनवरी को राजपथ पर मोदी के साथ बराक ओबामा को बैठा पाया !
राजपथ पर नए भारत के उदय को अपनी आँखों से सराहा !!

फरवरी में भारत की राजनीती में एक बड़ा बदलाव आया !
केजरीवाल नाम का शख्श दिल्ली में भूचाल लाया !!

मार्च में युगपुरुष अटल बिहारी बाजपेई को भारत रत्न मिलने से मुझमे भी जोश आया !
अप्रैल में नेपाल  भूकंप के कहर से खुद को नहीं बचा पाया !!

मई और जून में सूर्य देवता का प्रकोप भारी था !
हर जगह मेघो के बरसने का इन्तजार था !!

जुलाई में कही घनघोर बारिश और कहीं सूखा था !
" डिजिटल इंडिया" का स्लोगन मेरे सामने ही अस्तिव्य में आया था !!

अगस्त में कंप्यूटर जगत के लिए खुशखबरी थी !
विंडोज 10 हर कंप्यूटर पर छाने को तैयार था !!

सितम्बर में मंगल पर पानी होने की पुष्टि हुई !
एक नए गृह पर जीवन बसाने की उम्मीद जगी !!

अक्टूबर आते आते सीरिया संकट गहरा गया !
मानवता के दुश्मनो को देखकर मैं भी कांप गया !!

नवम्बर में पेरिस नरसंहार हुआ !
इंसान को इंसान का दुश्मन बनते देख मैं बहुत शर्मिंदा हुआ !!

दिसम्बर आते आते मैं भी थक गया !
अब मेरा समय भी पूरा हुआ !!

अब समय की मशाल अपने छोटे भाई २०१६ को देने की बारी हैं !
जैसा बीता आपके साथ , अच्छा रहा - थोड़ा ख़ुशी और थोड़ा गम साझा कर गया !!

याद रखना मेरी अच्छी यादो को , बुरी यादों को मिटा देना !
सुख चैन और अमन से जीना २०१६ के साथ , कभी याद आऊं तो बस मेरे ऊपर पड़ी धूल हटा देना !!


Thursday, December 17, 2015

ख्वाइशों की पतंग बनी , मन की बनी डोर ..............

ख्वाइशों की पतंग बनी , मन की बनी   डोर !
उड चला मन बावरा , करने आसमान से होड़ !!

कभी बादलो से आंखमिचौली की , कभी किरणों से नहाया !
कभी  शाखों से खुद को बचाया , कभी खुले मैदानों को निहारा !!

कहीं पर लहलहाते खेत देखे , कहीं पर बंजर मैदान !
आसमां छूती इमारते देखी , कहीं झुग्गियों का ढेर !!

किसी बूढ़े को पार्क में सिसकते देखा , कही अलमस्त बच्चो का शोर !
कही एकदम वीरानी देखी , कही गाड़ियों की रेल !!

ख्वाइशों की पतंग बनी , मन की बनी   डोर !
उड चला मन बावरा , करने आसमान से होड़ !!


कहीं हिन्दू मुस्लिम को कहकहे लगाते सुना  , कहीं भाई भाई को लड़ते हुए देखा !
कहीं दूर एक औरत को पल्लू डाले कोसो दूर से पानी लाते देखा , कहीं नदियों के पानी को उफनते पाया !!

कहीं भूख से बिलखते बच्चो को देखा , कहीं पार्टियो के बचे हुए खाना का ढेर पाया !
किसान को हताश देखा , बिचौलियों को मौज उड़ाते देखा !!

कहीं नेताओ की   गलबहियां देखीकहीं आग उगलते सुना !
किसी रिश्वतखोर सरकारी अफसर को गरीब से पैसे लूटते भी देखा !!

ख्वाइशों की पतंग बनी , मन की बनी   डोर !
उड चला मन बावरा , करने आसमान से होड़ !!


गजब दुनिया के अजब निराले दृष्य देखे , एक सेठ को पांच रुपये के लिए नौकर को पीटते देखा !
वहीँ एक गरीब को मंदिर के दान पत्र में सौ का नोट डालते मुस्कराते पाया !!

अपने गांव की गलियाँ भी घूम आयाबचपन में एक पेड़ के तने में लिखा नाम ज्यो का त्यों पाया !
स्कूल को अपने पहचान नहीं पाया , टिन के शेड से उसको तिमंजिला बिल्डिंग पाया !!

उस मैदान का भी एक चक्कर लगा आया , जहाँ भूख प्यास भूल कर दिनभर क्रिकेट खेलता था !
मगर अखरोट के उस पेड़ को सूखा पाया , जिसमे पत्थर मारकर अखरोटो को खाता था !!

ख्वाइशों की पतंग बनी , मन की बनी   डोर !

उड चला मन बावरा , करने आसमान से होड़ !! 

Tuesday, November 17, 2015

ये हिन्द हैं मेरा ……..



मिटा सका कोई , मिट गए मिटाने वाले !
बाँट सका कोई , बँट गए खुद बाँटने वाले !!

हर बार चोट से उभरा था , हैं और रहेगा !
ये हिन्द हैं मेरा , यूँ ही मुस्कराता रहेगा !!

दंश झेले कितने सीने में , वीरो ने गौरव गाथा लिखी हैं !
हम हारे नहीं दुश्मनो से , बस कुछ जयचंदो ने नाक कटाई हैं !!

हम एक थे , हैं और रहेंगे !
ये हिन्द हैं मेरा, सब मिलकर आगे बढ़ेंगे !!

कितनी कोशिशे तुम कर लो जगवालो !
नींव की गहराई  क्या तुम हमारी समझ पाओगे !!

साजिश कर लो कितने ही हमें बरगलाने की !
कुव्वत अभी भी है सिकंदर को घुटने में लाने की !!

ये तो हमारे घर में ही थोड़ा वैचारिक मतभेद हैं , वर्ना मजाल क्या तुम्हारी ? 
ये हिन्द है मेरा , ध्यान रहे  - शेर के मुहँ से भी निवाला निकालने की आदत हैं पुरानी हमारी !!



Monday, November 9, 2015

चलो , इस दिवाली कुछ अलग करते हैं




चलो , इस दिवाली कुछ अलग करते हैं !
कुछ मुरझाये चेहरों पर मुस्कान लाते हैं !!

अपने सपने जो बेवजह अँधेरे की गर्त में लिपट गए थे !
उनको फिर से जिन्दा करते  हैं !!

देश के अंधकारमय माहौल में कुछ उजाला करते हैं !
देश के लिए बिना शोर किये कुछ करते हैं !!

अपनी खुशियों में कुछ रोते हुए लोगो को शामिल करते हैं !
चलो , इस दिवाली कुछ अलग करते हैं  !!

माँ लक्ष्मी और गणेश जी की अराधना करते हैं !
सबको बुद्धि , विवेक और सामर्थ्यवान बनाने की प्राथर्ना करते हैं !!

फिर से सब में   विश्वास जगाते हैं !
अँधेरा हर बार हारता हैं , यकीन दिलाते हैं !!

धरती , हवा , पानी और  आसमां को बचाने के लिए प्रयास करते हैं !
चलो , इस दिवाली कुछ अलग करते हैं  !!

दीपावली शुभ हो !


Monday, November 2, 2015

इस शहर को ये क्या हो गया है ?


इस शहर को ये क्या हो गया है ? !
यूँ तो लाखो की तादाद हैं , मगर इंसान क्यों खो गया हैं ? !!
कंक्रीट के घर , कंक्रीट की सड़के , कंक्रीट के ही रास्ते !
मिट्टी की सुगंध का नामोनिशां मिट गया हैं !!
दिखावटी और मिलावटी सब कुछ लगता हैं यहाँ !
एक सच्ची मुस्कान को तरस गया हैं !!

इस शहर को ये क्या हो गया है ? !
हर कोई भाग रहा  हैं , पता नहीं कौन सी दौड़ में हिस्सा ले रहा हैं !
फुर्सत के पलो को तो जैसे ये शहर तरस गया हैं !!
किसी को किसी के लिए वक्त नहीं हैं यहाँ !
मासूम बचपन भी चारदीवारी में दम तोड़ रहा हैं !!
तौली जा रही हैं खुशियाँ यहाँ पैसे में !
जीवन का मतलब ही इंसान भूल गया हैं !!


इस शहर को ये क्या हो  गया है ? !
इंसान का इंसान से भरोसा उठता जा रहा !
हरेक इंसान दूसरे को शक की निगाह से देख रहा हैं !!
बिक रही हैं बाजारों में हर चीज़ !
इंसानियत का  कोई मोल नहीं रहा !!
हवाओ में घुल गया हैं एक अजीब सा जहर  !
घुट घुट कर इंसान जी रहा   !!
रिश्ते अब बस नाम के रह गए !
माता पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ने का चलन बढ़ गया यहाँ !!

Thursday, October 29, 2015

मैं गाय हूँ ..........................



मैं गाय हूँ ,
सागर तट पर डूबते सूरज को विदा करते हुए सोच रही हूँ !
क्यों मेरे नाम का इतना शोरशराबा हैं ? !!

मैं तो गाय हूँ ,  
और दुसरो के काम आने  के लिए ही  जन्मी हूँ , फिर क्यों मेरे नाम से आज झगड़ा हैं ? !
मेरे दूध से पले बढे  बच्चों को झगड़ते देख आज मैं सचमुच बड़ी दुखी हूँ !!

मैं गाय हूँ , 
मेरे लिए कोई भेद नहीं हैं , मेरे मन में किसी के लिए कोई क्लेश नहीं हैं !
मुझे " गौ माता " कहने वाले लोगों में आज इतना द्वेष क्यों हैं ? !!

मैं गाय हूँ , 
आप भी सूरज हो , क्या किसी खास  के लिए ही चमकते हो ?  !
अगर आप के लिए भी झगड़ा हो जाये और आपने चमकना छोड़ दिया तो क्या होगा ? !!

मैं गाय हूँ , 
मैं  कामधेनु हूँ -प्यार से रखोगे तो सब कुछ न्यौछावर कर दूँगी !
आँख उठाने वालो का कार्त्तवीर्य  अर्जुन के जैसे हाल कर दूँगी !!

Saturday, October 10, 2015

मैं खुश रहता हूँ .......

मैं खुश रहता हूँ  .......
मैं बीते कल का रोना नहीं रोता , और आने वाले कल की फिक्र करता हूँ। 
मैं तो बस आज में जीता हूँ !!

मैं खुश रहता हूँ  .......
मैं किसी से कोई उम्मीद नहीं पालता !
बस खुद से उम्मीद रखता हूँ !!


मैं खुश रहता हूँ  .......
मुझे बहुत कुछ नहीं चाहिए !
मैं थोड़े से में भी संतोष कर लेता  हूँ !!

मैं खुश रहता हूँ  .......
मैं किस्मत में यकीन नहींरखता हूँ  !
अपनी तकदीर खुद बनाने में यकीन रखता हूँ !!

मैं खुश रहता हूँ  .......
मैं औरो को ताने नहीं देता !
खुद अपने गिरेबान में पहले झांक लेता हूँ !!

मैं खुश रहता हूँ  .......
मैं मानता हूँ -ये उधार की ज़िन्दगी हैं !
और किराये के मकान में कटनी हैं- फिर दुःखी क्यों रहूँ !!

मैं खुश रहता हूँ  .......
मुझे किसी से कोई ईर्ष्या नहीं हैं , न मैं किसी से कोई दुश्मनी रखता हूँ !
दोस्त बनाता हूँ और उनकी उन्नति की कामना करता हूँ !!

मैं खुश रहता हूँ  .......
मैं बस आज और अभी में जीता हूँ !
वक्त चाहे अच्छा हो या बुरा -बीत जायेगा में यकीन रखता हूँ !!