Monday, August 17, 2015

वक्त और मैं .................

वक्त और मेरा झगड़ा चलता रहता हैं , मगर हर बार वो बाजी मार जाता हैं !
कितनी बार समझाया उसे , मगर वो फिर आगे निकल जाता हैं !!

अब मैंने भी समझौता सा कर लिया हैं , कदम ताल करनी ही पड़ेगी !
कुछ करना हैं ज़िन्दगी में तो वक्त के साथ दोस्ती करनी ही पड़ेगी !!

मगर बड़ा ज़िद्दी हैं ये वक्त , हर वक्त उकसाता रहता हैं !
थोड़ा भर भी सुस्ता  लूँ तो बहुत आगे निकल जाता हैं !!

मगर कहता भी हैं एक सच्चे दोस्त की तरह , की चलता रह साथ में कहीं न कहीं तो पहुँच ही जायेगा !
मरहम भी देता हैं और सिखाता भी हैं - हरदम एक बात को याद रखने को कहता हैं - "जल्द ही ये पल- अच्छा हो या बुरा बीत जायेगा" !!

Friday, August 14, 2015

मेरे देश की उम्मीद अभी बाक़ी हैं ...............................

मेरे देश की उम्मीद अभी बाक़ी हैं क्यूंकि ,
अब भी यहाँ बहुत लोग हैं , जो देश के लिए जज्बात रखते हैं !
आ जाये कभी संकट तो मर मिटने को तैयार रहते हैं !!

अब भी बहुत लोग हैं जो चुपचाप अलख जगाते हैं !
बिना किसी स्वार्थ के अपना कर्तव्य निभाते हैं !!

मेरे देश की उम्मीद अभी बाक़ी हैं क्यूंकि ,
ये भगत सिंह , चंद्रशेखर आजाद , सुखदेव , राजगुरु - न जाने कितनी कुर्बानियो से सींची हैं !
सुभाष चन्द्र बोस , नेहरू , गांधी , पटेल , मौलाना आज़ाद आदि की सोच रखती हैं !!

अब भी यहाँ अब्दुल कलाम पैदा होते हैं , जो एक हाथ में गीता और दूसरे में कुरान रखते हैं !
अब भी यहाँ दसरथ मांझी पैदा होते हैं , जो अपने दम पर पहाड़ का सीना चीर कर रख देते हैं !!

मेरे देश की उम्मीद अभी बाक़ी हैं क्यूंकि ,
मेरे देश का "जवान" बिकाऊ नहीं हैं, सीना ताने मातृभूमि की रक्षा करने में शान समझता हैं !
माणिक सरकार जैसा गरीब और निश्वार्थ मुख्यमंत्री त्रिपुरा में अब भी राज करता हैं !!

अभी भी देश के लिए नौजवानो के दिलो में शोले भड़कते हैं !
देश हित के लिए रामलीला मैदान में अब भी आंदोलन होते हैं !!

मेरे देश की उम्मीद अभी बाक़ी हैं क्यूंकि ,
कालांतर में भी हमने दंश झेले हैं , हर बार उससे उभरे हैं !
आक्रान्ताओं के गुरूर को ख़त्म किया हैं , और मजबूत बने हैं !!

हर बार मजबूती से हमने अपना गौरव वापस पाया हैं !
भटके हुए लोगो को फिर मुख्यधारा में आते हमने पाया हैं !!

मेरे देश की उम्मीद अभी बाक़ी हैं क्यूंकि ,
रोज़ कही कही कोई किसान देश के लिए और ज्यादा अन्न उपजाने की कोशिश करता हैं !
रोज़ कहीं कही मजदूर सड़के बनाता  हैं !!

दूर गांवों में कोई शिक्षक आज भी भारत के बच्चो को दिल से पढ़ाता हैं !

कही किसी छोर पर भारत माँ का झंडा देख एक बच्चा गर्व करता हैं !!

Monday, August 10, 2015

मेरा देश रो रहा हैं ………………


मेरा देश  रो रहा हैं क्यूंकि…………………………..
कश्मीर सुलग रहा हैं , गुजरात डूब रहा हैं !
पूर्व में नक्सल सिर उठा रहा हैं , मध्य में व्यापम घोटाला बलि ले रहा है !!
दक्षिण अलग राग अलाप रहा हैं , दिल्ली चुपचाप तमाशा देख रहा हैं !
दुश्मन घात लगा रहा हैं , बॉर्डर पर जवान गोली खा रहा हैं !!

मेरा देश  रो रहा हैं क्यूंकि ,
घर में  ही लड़ मर रहे हैं उसके नौनिहाल , नेता सारे मौज ले रहे हैं !
लोकतंत्र के पावन मंदिर "संसद" में रोज़ हंगामे हो रहे हैं !!
जवान देश की खातिर शहीद हो गया , उसकी किसी को परवाह नहीं हैं !
एक आतंकवादी को फाँसी क्यों दी , राष्ट्रीय चिंता का विषय हो गया हैं !!

मेरा देश  रो रहा हैं क्यूंकि ………………
सड़के बेहाल हैं , बिजली पानी का कोई ठिकाना नहीं !
तरस रहा हैं आम आदमी , नेताओ को फुर्सत नहीं !!
भड़काऊ भाषण , दूसरे को नीचा दिखाओ !
कुर्सी की खातिर - शतरंज का खेल चल रहा हैं !!

मेरा देश  रो रहा हैं क्यूंकि  ………………
नौजवानो की आशायें धूमिल हैं , कोई रास्ता सूझ नहीं रहा हैं !
माँ-बहनें घर से निकलते डर रही हैं , रावण राह ताक रहा हैं !!
नियम कानूनो की धज्जियां उड़ाने वालो की जय जयकार हो रही हैं !
देश को धर्म और  जाति में बांटने की हर संभव कोशिश हो रही हैं !!

मेरा देश  रो रहा हैं क्यूंकि  ………………
किसान आत्महत्या कर रहा हैं , मजदूर काम के लिए तरस रहा हैं !
चुने हुए सेवको में बंदरबांट चल रही हैं , भ्रस्टाचार देश को घुन की तरह खा रही हैं !!
कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए जनता को बहका रहे हैं !
जनता भी चंद पैसे के लिए खुद को बेच रही हैं !! 

मेरा देश  रो रहा हैं क्यूंकि  ………………
रक्षक अब  भक्षक हो गए हैं , कुछ पाखंडी संत हो गए हैं !
जनता गुमशुम हो गयी हैं , लाठियो से डर गयी हैं !!
देख कर हाल , जग हँसाई  हो रही हैं !
तरेर रहे हैं आँखे सब , क्यूंकि घर में ही मैंने मात खायी हैं !!