Sunday, December 25, 2016

2016 को अलविदा और 2017 का स्वागत

चलो  की आगे बढ़ते हैं , 
2016 को अलविदा  और  2017 का स्वागत करते हैं।  

खट्टी - मिट्ठी यादो का पिटारा दे गया 2016 , 
2017 में और अच्छे की उम्मीद करते हैं !! 

ये समय चक्र हैं , 
अनवरत चलता रहेगा।  

बीता साल इतिहास का पन्ना , 
और आने वाला साल उम्मीदें गढ़ेगा !!

बस इतना याद रखियेगा , 
हर बीता पल  आपके जीवन खाते से ही कटता हैं।  

कुछ लोग हर पल को जी जाते हैं , 
और कुछ लोगो का बस गुजर जाता हैं !!

चलो की सब गिले-शिकवे , दुःख दर्द भूलते हैं , 
नए साल में फिर से नयी शुरुवात करते हैं।  

ज़िन्दगी एक नियामत हैं उस ईश्वर की , 
आओ की एक नयी परिभाषा गढ़ते हैं !! 

Thursday, December 22, 2016

कवि और कविता

जो देखता हूँ , वो लिखता हूँ !
शब्दो को आड़े तिरछे - आगे पीछे पिरोता हूँ !!

जो महसूस होता हैं !
शब्दो के जरिये बयां करता हूँ !!

अपने को कवि नहीं कहता  !
फिर भी कविताये लिखने का प्रयास करता हूँ !!

खालिस कवि तो विरला होता हैं !
वो शब्दो को मोती बना कविता को पिरोता हैं !!

कल्पना को अपनी शब्दो में जीवंत करता हैं !
एक  एक शब्द से पूरा सार गढ़ता हैं !! 

कभी भावनाओ के अतिरेक में बह कर विद्रोही सा लगता हैं !
कभी किसी विषय पर आँखों के कोरे गीली कर देता हैं !!

कवियों का संसार भी अजब हैं !
हर कोई दिल से यायावर और मस्तमौला हैं !!

हर चीज में उन्हें कविता सूझ जाती हैं !
ज़िन्दगी की  इस आपाधापी में भी  कलम बेबाक चलती हैं !!

Saturday, November 19, 2016

बदलाव की बयार ( नोटबंदी )

एक कोशिश हुई कुछ बदलने की , 
जो हम दिल से चाहते हैं !
किसी ने तो पहल की वो दुनिया बनाने की , 
जिसमे हम रहना चाहते हैं !! 

बदलाव की बयार बह रही हैं , 
हमें भी कुछ बदलना होगा !
अपने " आने वाले कल" के लिए,
 " आज " संघर्ष करना होगा !! 

देश आज दोराहे पर खड़ा हैं , 
कोई रास्ता तो चुनना होगा !
या तो ऐसे ही चलते रहो , 
या फिर परिवर्तन का हिस्सा बनना होगा !! 

बेशक अभी परेशानी बहुत हैं , 
हर तरफ हाहाकार हैं !
लोगो के सब्र का ये कड़ा इम्तेहान हैं , 
" देश " के लिए आज यही तो बलिदान हैं !! 

Monday, November 14, 2016

नोटबंदी के साइड इफेक्ट्स

पूरा विपक्ष एकजुट हो गया , भूल गया अपने उसूल !
कालेधन पर हथौड़ा मारा हैं , उनसे पूछे बिना मोदी जी ने शायद कर दी भूल !!

कुछ समय तो देते मोदी जी उनको , ठिकाना लगाना था काला धन !
वर्षो की मेहनत पर उनके , उड़ेल दी सारी धूल !!

"ऐसा भी कोई करता हैं" - एक झटके में ऐसे फैसला लेता हैं !
खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे , सारे देश को कोई क्या  लाइन में लगाता हैं ? !!

 सारा देश लाइन पर लग गया , छोड़ के सारे काज !
क्या ऐसे कोई करता हैं "काले धन " का पर्दाफाश ? !!

 आतंकवादी - आतंक भूल गए , उनके आकाओ को गया पसीना !
दुश्मन भी चित हुआ - बिना वार किये दिखा दिया छप्पन इंची सीना !!

गरीब आज खुश हुआ , मिला उसे बराबरी का ताज !
बड़े बड़े धन्ना सेठो कोचिंतित देखा आज !!

 ऐसा अवसर इतिहास में यदा -कदा ही आता हैं !
जब छोटा नोट , बड़े नोट को उसकी औकात  दिखाता हैं !!

खुल गए खजाने सब , टूट गयी तिजोरियाँ !

बनने चल दिया मेरा 'भारत ' फिर से 'सोने की चिड़िया ' !!

Wednesday, November 9, 2016

ऐ ! सैलरी , जरा धीरे धीरे गुजर। ( सभी वेतनभोगी कर्मचारियों को समर्पित)


तेरे इन्तजार में न दिन देखा-न रात ,
अब आयी हैं तो जरा ठहर !

मुझे तेरे होने का एहसास तो होने दे ,
कुछ वक्त तो मेरे साथ गुजार ले !

तेरे आने की आहट से ही दिल सुकून से भर जाता हैं ,
तेरे जाने पर दिल मेरा जार जार रोता हैं !

जब तक तू मेरे साथ रहती हैं ,
मेरा हर दिन होली , रात दिवाली होती हैं !

तेरे चले जाने के बाद ,
हर दिन बेरंग और रात अमावस होती हैं !

तू तो इतरा कर चली जाती हैं ,
तुझे इल्म नहीं हैं शायद , उसके बाद मुझपर क्या बीतती हैं ? !

तेरे फिर से आने के ख्यालो से जी लेता हूँ ,
हर रोज़ जी और मर लेता  हूँ !

अब आना -तो थोड़ी फुरसत लेकर आना,
कुछ दिन और रुककर मुझे ज़िंदा होने का एहसास करा जाना !

तेरी बाट जोहूंगा ,
हो सके तो समय पर आ जाना ! 

काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक

मोदी जी हद कर दी , 
एक झटके में ५०० और १००० के नोटों की गड्डी रद्दी कर दी !

कितने जतनो से कमाई थी , 
नजर न लगे किसी की , सबसे छुपाई थी !

न जाने कहाँ कहाँ लक्ष्मी माता कैद रखी थी , 
तुम्हारे एक एलान से झटके में मुस्कराई थी !

काली तिजोरियो में हड़कंप हैं , 
पहली बार १०० के नोट के आगे ५०० का नोट बेदम हैं !

अब कैसे लड़े जायेंगे चुनाव -कैसे होगा हवाला कारोबार , 
इस सर्जिकल स्ट्राइक में वाकई दम हैं !

हर बार कुछ गजब कर जाते हो , 
इतना बड़ा जिगर कहाँ से लाते हो ? !

लगता हैं कुछ कर जाओगे , 
इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरो में लिख जाओगे।  

Tuesday, November 8, 2016

पलायन का दर्द




छोड़ कर अपना घोंसला एक दिन , 
उड़ पड़ा  पंछी नया आसमां ढूंढने , 

नए पंखो की उड़ान लंबी थी , 
सब कुछ नाप जाने की ललक भी थी , 

नई उम्मीदे , नए हौंसले 
नव किरण की आस लिए 

माँ ने समझाया - बाप ने बुझाया ,बहनो ने रिझाया - भाइयो ने हड़काया। 
सबकी अनसुनी कर , उड़ चला वो मस्तमौला अपनी दुनिया से अनजानी दुनिया में रम गया।।

वो नयी दुनिया पाकर मस्त हो गया , घोंसला उसका बिखर गया ।  
उसको नया आसमां रास आ गया , पीछे उसका सब कुछ छूट गया।।  

बहुत कुछ मिल गया उसे ,  पा लिया सबकुछ  जिसकी उसको चाह थी।  
मगर बैचैनी थी  कुछ उसे , शायद उस मिटटी में कुछ अलग बात थी।। 

चकाचौंध की अपनी नयी दुनिया में, अब उसे सुकून की तलाश थी।  
रौंदा था जिस मिटटी को बचपन में , शायद उसको उसकी खुशबूं अब भी याद थी।।

स्वंछंद और बेफिक्रे घूमने की शायद  उस पर पाबन्दी थी।  
डरा डरा रहने की शायद , नए आकाश में  मजबूरी थी।।  

Sunday, November 6, 2016

फिजायें कुछ बदली सी हैं .... ( देश की राजधानी और उसके आसपास के वातावरण पर समर्पित कविता )

आबो हवा कुछ बदली सी हैं , कोहरे की चादर ओढे सुबह रो रही  हैं !
सूरज अपनी किरणे भेजता तो हैं , ये अजीब सी धुंध अपने अंदर सोख रही हैं !!

फक्र होता था जिन हवाओ पर कभी , आज वही जहरीली सी क्यों हैं ? !
लगता हैं कही कुछ साजिश हैं , हवाओ को कैद करने की मंशा तो नहीं हैं ? !!

आँखे लहूलुहान , फेफड़ो का दम घुट रहा हैं !
कही इसके लिए हम सब तो जिम्मेदार नहीं हैं ? !!

प्रक्रति तो अपने तय नियमानुसार ही चलती हैं !
जैसे करोगे वैसा भरोगो - बार बार कहती हैं !!

हवाओ ने भी अब सीधा सबक सिखाने की ठान ली हैं !
दंभ और आडंबर ओढ़े हम इंसानो को अपनी करनी याद दिला दी हैं !! 

Friday, October 21, 2016

हिटो ददा भूली , हिटो भे -बेणियओ ( कुमाउँनी कविता )




हिटो ददा भूली , हिटो भे -बेणियओ- पहाड़ बुलौनी !
नौव ठण्ड पाणी , बांज बूझाणी - सब धात लगौनी !!

पौरो  की बखई, धार मी कौ घाम - सब तरसनि !
गद्दुआ का झाल , उ भट्टाक डुबुक - तुमर राह देखणी !!

आलूक गुटुक - काकड़ फूलुन - तुमकू बुलौनी !
का छा रे नान्तिनो - गोल्ज्यू और गंगनाथ ज्यूँ बुलौनी !!

आमेक बुबु फसक - गुड़ कटक चाह -धरिये रौनी !
आपण नान्तिनो लीजि पहाड़ आंस बहूनि !!

Friday, October 7, 2016

बहरूपिये


इधर उधर - यहाँ वहाँ बहरूपिये घूम रहे हैं !
अंदर से कुछ और , बाहर से कुछ और - अपने मौके ढूंढ रहे हैं !!

शेर की खाल का लबादा ओढे बहुत सियार  घूम रहे हैं !
बचा के रखो खुद को , दोस्त बनकर कुछ दुश्मन खंजर लिए घूम रहे हैं !! 

रिश्ते नाते , सच्चाई को ताक पर रख रहे है !
कुछ लोग भरे बाजार चंद रुपयो में ईमान बेच रहे हैं !!

दौर गजब का चल रहा हैं !
नालायकी शबाब पर और लायक बड़ी मुश्किल से गुजर बसर कर रहे हैं !!

सही रास्ते पर चलने की सीख देने वाला दकियानूसी हैं !
बरगलाने वाले  - शुभचिंतक बन रहे हैं !! 

सच्चे और ईमानदार अभी भी चुपचाप  नेक काम कर रहे हैं !
बहरूपिये ताल ठोककर अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं !! 

Wednesday, October 5, 2016

बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं


झूठे को बढ़ावा , सच को अनदेखा करने का !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं      !!

देश के लिए शहीद होने वालो के लिए चुप्पी , देशद्रोही की मौत पर हंगामा  करने का !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं    !!

समाज को जो सुधारने चलता हैं उसके पीछे कोई नहीं , फरेबी और मक्कारो के पीछे भीड़ !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!

 माँ -बाप के सुझावों की अनदेखी , पराये लोगो की सलाह को बच्चो को लेते देखा हैं !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!  

परिवार के बीच एक छत के नीचे ख़ामोशी को पसरा देखा, फोन पर मायावी दुनिया में शोर होते देखा हैं !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!

विषय की जानकारी भले ही शून्य हो , मगर ताल ठोककर अपनी राय देते सुना हैं !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!

शेरो को झुण्ड में और गीदड़ो को दहाड़ते सुना हैं !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!

कर्मयोगी का तिरस्कार और कामचोरों को पुरुष्कार लेते देखा हैं !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!

Friday, September 30, 2016

नयी इबारत


चल फिर से ज़िन्दगी की नयी इबारत लिखते हैं !
देर कभी नहीं होती , आज से ही शुरू करते हैं !!

बीते लम्हो को याद बनाकर आगे बढ़ते हैं !
आगे कैसे सुनहरा हो ? प्लान बनाते हैं !!

क्या खोया , क्या पाया - इस बात की फिक्र छोड़ते हैं !
आज फिर से एक कोरे कागज से ज़िन्दगी शुरू करते हैं !! 

चल बेहतर से बेहतरीन बनते हैं !
ज़िन्दगी को अपनी कुछ सरल करते हैं !!

फिर से बच्चा बनकर चीजो को नए सिरे से समझते हैं !
हजारो सवालो के उत्तर फिर ढूंढते हैं !! 

न किसी से कोई शिकायत , न कोई रंजो गम दिल में रखते हैं !
चल फिर से नयी ज़िन्दगी शुरू करते हैं !!

Sunday, August 21, 2016

सलाम हैं सिंधु और साक्षी


नाज है बेटियो पर आज हिंदुस्तान को !
साक्षी और सिंधु ने लाज बचायी हैं !!

रियो के खेलकुंभ में आपने ही !
विजय पताका फहराई हैं !! 

जब रियो में तुमने तिरंगा फहराया !
भारत का एक  एक कोना गौरव से फूला समाया !!

जब जब हिंदुस्तान की इज़्ज़त की बात आयी हैं !
धन्य हैं इस माटी की , बेटियाँ ही काम आयी हैं !!

लड़की को बोझ समझने वालो के मुहं पर ! 
ये एक जोरदार तमाचा हैं !!

सिंधु और साक्षी आज सारे हिंदुस्तान को !
तुम दोनों पर फख्र हैं !! 

Wednesday, August 10, 2016

जागो देश के नौनिहालो !

जागो देश के नौनिहालो !
देश आज पुकार रहा !!

देकर मुझे नेताओ के हाथ !
तू क्यों सो रहा ? !!

क्या इसीलिए लाखो ने अपनी क़ुरबानी दी थी ? !
मेरी आज़ादी के लिए इतनी लंबी लड़ाई लड़ी थी !!

माना की तू अपनी रोज़ी रोटी कमाने में व्यस्त हैं !
मगर याद रख - मेरा भी तो तुझपर क़र्ज़ हैं !!

स्वार्थी भेड़िये मुझे नोच नोच कर खा रहे हैं !
अपना दीन ईमान सब बेच रहे हैं !!

रोम रोम मेरा काँप रहा  !
क्योंकि मेरा लाल अभी सो रहा !!

वर्दी वालो ने वर्दी बेच दी !
नेताओ ने शर्म बेच दी !!

कोई धर्म के नाम पर गरिया रहा !
कोई जात पात की रोटियां सेंक रहा !!

देख कर मेरे घर की हालात !
अदना पडोसी भी धमका रहा !!

चाल दुश्मन चल रहा ,भाई भाई में फूट डाल रहा  !
गंगा जमुना की तहजीब में विष कोई घोल रहा !!

माँ बहनो की इज्जत से रोज़ खिलवाड़ हो रहा !
क्योंकि मेरा लाल अभी सो रहा !!

अब भी अगर न उठा तू , बहुत देर हो जाएगी !

तेरी "भारत माता" फिर से गुलामी की जंजीरो में जकड जायेगी !! 

Monday, August 8, 2016

आजादी मतलब ज़िम्मेदारी !


खुशकिस्मत हैं हमआज़ाद देश के बाशिंदे हैं !
गुलामी के दंश और  चाबुक की मार नहीं झेले हैं !!

खुशकिस्मत हैं हम , आज़ादी विरासत में पाए हैं !
जुल्मो और अत्याचारो को हमारे पुरखे सहे हैं !!

खुशकिस्मत हैं हमारे पुरखे ,  अपना बलिदान दे गए !
हमारे आज के लिए अपना सर्वस्व त्याग गए !!

खुशकिस्मत हैं हम , आज़ादी हमारा जन्मसिद्ध अधिकार बन गयी !
परतंत्रता हमारे लिए किताबी बात हो गयी  !!

यक्ष प्रश्न आज सामने खड़ा और पूछ रहा !
आज़ादी के साथ की जिम्मेदारी को फिर कैसे भूल गए ? !!

अधिकारों को लेकर हर जगह हंगामा हैं !
कर्तव्यों के लिए क्यों सन्नाटा पसरा हैं ?!!

आज़ादी सिर्फ अधिकारों का झोला नहीं हैं !
इस झोले में कर्तव्यों का  वजन भी  भारी हैं !!

आजादी का  जश्न मनाये , कर्तव्यों को  याद रखे !
देश हमारी जिम्मेदारी हैं , इसका हमेशा मान रखे !! 

अपनी अगली पीढ़ी को हमें राह दिखानी हैं !

पुरखो से मिली इस आज़ादी को सही सलामत उनको देकर जानी हैं !!

( आज़ादी की ७० वीं वर्षगांठ पर देश को समर्पित ) 

Tuesday, August 2, 2016

गुजारिश

ज़िन्दगी कुछ चाहती रही , हम कुछ और चाहते रहे !
कशमकश  चलती रही , फासले बढ़ते गए !!

ज़िन्दगी दिल से चलती रही , हम दिमाग की सुनते रहे !
चले दोनों एक साथ थे , अब मीलो के फ़ासले हो गए !!

वो मेरी एक मुस्कान को तरसती रही !
हम बेफिजूल उस पर झल्लाते रहे !!

वो अब भी हर रोज़ फिर से मौका देती हैं !
मुस्करा कर हर रोज़ स्वागत करती हैं !!

हम उलझे रहते हैं हर रोज़ , उसकी मुस्कान को किनारा करते हैं !
वह हर रोज़ अपनी वफ़ा निभाती हैं, उसकी हिम्मत की दाद देते हैं !!

उसकी तो गुजारिश बस इतनी सी रहती हैं !
जब तक साथ हूँ , जी भर के मुस्कराते जी ले !! 

Friday, July 29, 2016

ज़िन्दगी उत्सव



कहीं खुशियों के रेले -और कहीं थोड़ा गमो के झमेले हैं ,
कहीं प्यार की बरसात  हैं - कही थोड़ा तकरार हैं ,
हर ज़िन्दगी का कोई न कोई रंग ,
यहाँ हर तरफ ज़िन्दगी के मेले हैं। 

कोई यहाँ दौड़ रहा - कोई अलमस्त हैं ,
कोई कल की फिक्र में व्यस्त हैं ,
किसी के चेहरे पर उदासी - कोई खिलखिला कर हँस रहा हैं ,
कोई भीड़ में भी अकेला - कोई अकेला ही मस्त हैं ,
ज़िन्दगी उत्सव के देखो कितने अनगिनत रंग हैं। 

हर कोई शामिल हैं इस उत्सव में - गठरी अपनी उम्मीदों की बाँधे हैं ,
घूम रहा हैं इस उत्सव में - अपना रंग बिखेरे हैं ,
आओ ! शामिल हो जाओ जीवन उत्सव में ,
सबके लिए यहाँ बहुत कुछ हैं।  

Friday, July 15, 2016

बादल




आसमां के लुटेरे बादल - श्याम श्वेत ये बादल !
बरसते अपनी मनमर्जी से , उमड़ घुमड़ शोर करते बादल !!

अपने में समेटे बूँदों को , धरा को तरसाते बादल !
आँख मिचौली सूरज के साथ करते हैं ये बादल !!

बरसने से पहले खूब बचपना करते बादल !
नियति को मंजूर करने से पहले खूब अठखेलियां करते बादल !!

आज यहाँ , कल कहाँ - पूरी धरती का चक्कर लगाते ये बादल !
किसी के लिए वरदान , किसी के लिए सैलाब लाते ये बादल !! 

करने दो शैतानियाँ जरा , धरा में समाने के लिए ही जन्मे हैं ये बादल !
बारिश की बूँदे बनकर कितना कुछ दे जाते हैं ये बादल !! 

Tuesday, June 28, 2016

आधुनिक कहकहे - भाग -५

हर ज़िंदगी की अपनी कहानी , अलग अलग हैं दास्तान !१!
कोई मेहनत से लिखता , किसी पर किस्मत मेहरबान !२!
**

समय एक सा नही रहता , गाँठ बांध लीजिए यह  बात !१!
झक उजाला हैं भी अगर , अपनी बारी आनी हैं  रात !२!
**

सुनी सुनाई बातो पर मत कीजिए यकीन !१!
अफवाहो का बाजार गर्म हैं चलते रहते हैं तीर !२!
**

"हाँ जी" नौकरी हैं , "ना जी" का घर !१!
बचा के रखिए नौकरी, नही तो दरबदर !२!
**

सच्चा प्यार मिल जाये तो उसकी करिये कद्र !१!
दिखलावटी संसार मे किसी को किसी की नही हैं फिक्र !२! 
**

ज्ञान देना - अभिमान नहीं , धन देना - अहंकार नहीं !१!
स्वास्थ्य देना - रोग नहीं , जीवन हँस कर जीना - रो कर नहीं !२!
**

लक्ष्य बनाइये जीवन का , तब कुछ हासिल हो पाय !१!
समय अपनी चाल चलता रहे  , और जीवन बीत जाय !२!
**

यादों की पोटली में बांधते रहिये कुछ खुशनुमा पल !१!
जीवन सफर में जब उदास हो, गुदगुदाएंगे ये पल !२!
**

सुबह आँख खोलते ही लीजिए उस प्रभु का नाम !१!
एक नया सवेरा फिर दिया , करने पूरे काम !२!
 **

मुमकिन कोशिश करिये - दीजिये अपने सपनो को उड़ान !१!
मुश्किल थोड़ा आये भी अगर - मत टूटने दीजिये विश्वास !२!

Thursday, June 23, 2016

अाधुनिक कहकहे - भाग -४

गुस्से  को काबू मे रखिए , बोलते रखिए ध्यान !१!
गलती हो जाए तो मान लीजिए , नही घटेगा मान !२!
.........
हुनर बढ़ाते रहिए , तरकश मे  बढ़े  तीर !१!
जीवन  सफर का वही सच्चा वीर !२!
..........
सूरज छुप जाए बादलो मे , रात नही होती !१!
आ जाए थोड़ा परेशानी , ज़िंदगी बोझ नही होती !२!
..........
जीवन मंत्र यही हैं , धीरज रखिए साथ !१!
मौके न गवांये , खुले रखिए आंख और कान   !२!
.........
सोच सोच कर न कीजिए अपने दिमाग को परेशान !१!
कर्मो से अपने उठा दीजिए तूफान !२ !
..........
राजदार बनाये उसी को , जो बात पचा पाय !१!
वरना ढिढोरा पीटे , जग आप पर मुस्काय !२!
.......
जब छा जाए घनघोर निराशा , बात रखिए एक ध्यान !१!
खुशियाँ देने से पहले , भगवान ले रहा इम्तेहान !२!
.........
नौकरी कोई भी हो , सिद्दत से करिए काम !१!
बॉस से बना कर रखिए , नही तो काम तमाम !२!
.........
चुगलखोरो और झूठो से हरदम रहे सावधान !१!
अपने स्वार्थ के लिए कर सकते हैं ये परेशान !२!
..........
अतीत को सोचकर कोई फायदा नही , बीत गयी वो बात !१!
 भविष्य वक्त के गर्भ मे हैं , जी लीजिए बस आज !२!

..........

Tuesday, June 21, 2016

आधुनिक कहकहे - भाग -3


बरसो मेघो इस कदर , सब कुछ धुल जाये !१ !
अहंकार , पाप , लालच - सब कुछ बह जाये !२ !
 X
 झूलती हैं हर रोज़ ज़िन्दगी , नौकरी और परिवार के साथ !१ !
दोनों जगह की आशायें बहुत हैं , ज़िन्दगी करती सीत्कार !२ !
X
दोस्ती के पैमाने बदल गए , नहीं रही कृष्ण-सुदामा जैसी मिसाल !१ !
अब दोस्ती सोच समझकर होती , रखा जाता हैं स्वार्थ का ध्यान !२ !
X
चुनाव से पहले नेताजी जोड़े सबके हाथ , "हम जनता के सेवक , करेंगे सेवा दिन रात " !१ !
चुनाव जीतने के बाद -जनता नेताजी को ढूंढे , नहीं मिलते फिर पाँच साल !२ !
X
बँट रहा हैं ज्ञान सब जगह , ज्ञानियों की बढ़ गयी हैं तादाद !
दूसरों को लोभ -मोह- माया से दूर रहने को कहे , अपना हो रहे हैं आबाद !!
 X
खूब तरक्की कर ली हैं इंसान ने , चाँद पर रख दिए हैं पाँव !१ !
अपनी धरती को ख़त्म करने के लिए , जुटा लिया हैं सब सामान !२ !
 X
एक क्लिक से खुल जाता हैं - एक अदभुत संसार !१ !
घर बैठे ही कर लीजिए - प्यार हो या व्यापार !२ !
 X 
जिसके पास बड़ा बंगला - महँगी कार , वही आज इज्जत का हकदार !१ !
कर्म भले ही जैसे हो , होती हैं उसकी ही जय जयकार !२!
 X
टेक्नोलॉजी ने जीवन कर दिया कितना आसान, एक क्लिक पर दुनिया तमाम  !१ !
 कहीं जाने की जरूरत नही हैं अब , एक स्मार्टफ़ोन से होंगे आपके सारे काम !२ !
X
शॉर्टकट सब ढूंढे , मेहनत कोई अब क्यों करे ? !१ !

स्मार्ट बनने के इस जमाने मे समय जाया क्यों करे? !२ !

Tuesday, June 14, 2016

आधुनिक कहकहे - भाग -२

गुरु शिष्य अब स्टूडेंट टीचर हो गए , न रही अब परम्परा की बात !1
टीचर की बात को कैसे झुठलाये ?, लेता इंटरनेट का साथ !2!
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माँ कुछ बेटी से कहे , प्राइवेसी में दखल हो जाता हैं !1
पिता कुछ बेटे से कहे , आपको क्या मालूम ? कहता हैं !2!
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जीवन मूल्य बदल गए , बदल गए उसूल !1
सच्चाई पर कदम कदम पर भारी पड़ रहा है झूठ !2!
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गर्लफ्रेंड कहती बॉयफ्रेंड से ," प्यार व्यार सब ठीक हैं , बैंक बैलेंस कितना हैं तुम्हारे पास ? !1
सास ससुर की सेवा, खाना बनाना, बच्चे पालना नहीं हैं मेरे बस की बात !2!"
…………………………………………………………………………………………………………………………
होने वाली पत्नी कहे," घर में न सास ससुर चाहिए , न कोई ननद का राज !1
मेरे ऊपर कोई पाबन्दी नहीं चाहिए , सोई रहू चाहे दिन रात !2!”
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देशप्रेम अब शब्द रह गया , नहीं खौलता खून !1
देशभक्त को कोई न जाने , देश द्रोहियो की सब करे पूछ !2!
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धन दौलत के लालच में , सब कुछ गए भूल !1
ताक पर सब मान मर्यादा , बदल गए उसूल !2!
…………………………………………………………………………………………………………………
सबको हर चीज़ की जल्दी हैं , धैर्य नहीं किसी के पास !1
बीज अभी बोया नहीं , फल की करे आस !2!
………………………………………………………………………………………………………………
फेसबुक ने पुराने साथी मिलाये , व्हाट्सप्प कराता बात !1
बोर होने के दिन लद गए , जबसे  स्मार्टफोन आया हाथ !2!
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भावनायें व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं , इमोजी चाहिये !1
घर का खाना सादा होता हैं , जंक फ़ूड के साथ कोक चाहिए !2!
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Monday, June 13, 2016

आधुनिक कहकहे - भाग १

कुर्सी की खातिर बिक गया सब दीन -ईमान !
सत्ता के लिए इकठ्ठा हो गए सब बेईमान !!
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नाममात्र के  रिश्ते रह गए , ख़त्म हो गया अपनापन !
बेटा पूछे बाप सा , कितना छोड़ जाओगो मेरे लिए धन !!
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हवा में जहर घुल गया , पानी हुआ दूभर !
धरती सारी बंजर हुई , अब कहाँ उपजे अन्न !!
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बेटी जब बहु बनी , माँ बनी सास !
घर में क्लेश मच गया , न बची कोई आस !!
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दिन में महिला शक्ति की बात , रात में उठाए बीवी पर हाथ !
बेटी बचाओ के नारे लगाए , जन्मे दूसरे के घर में -मन में ये बात !!
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 बात बात में टूट रहे रिश्ते , खो रहा धैर्य और विश्वास !
कोई झुकने को तैयार नहीं , सबका अपना अपना स्वार्थ !!
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दादी - नानी की कहानियाँ , अब हो गयी पुरानी बात !
पोगो, हंगामा , डिज्नी अब दे रहे बच्चों का साथ !!
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 बदल गयी हैं दुनिया , बदल गयी इसकी रीत !
घर के मुखिया सब बन गए , नहीं रही अब वो प्रीत !!
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बेटा कहे बाप से - आउटडेटेड हो गए हो आप , आपको दुनिया की समझ नहीं !
बाप बोला बेटे से , चालीस साल पहले मेरे पिताजी ने भी यही बात मुझसे कही !!
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दोस्त अब ऑनलाइन मिलते हैं , घंटो बतियाते हैं !

मुश्किल घड़ी आ जाये तो ऑफलाइन और अंरेचेबल हो जाते हैं !!
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