Wednesday, August 10, 2016

जागो देश के नौनिहालो !

जागो देश के नौनिहालो !
देश आज पुकार रहा !!

देकर मुझे नेताओ के हाथ !
तू क्यों सो रहा ? !!

क्या इसीलिए लाखो ने अपनी क़ुरबानी दी थी ? !
मेरी आज़ादी के लिए इतनी लंबी लड़ाई लड़ी थी !!

माना की तू अपनी रोज़ी रोटी कमाने में व्यस्त हैं !
मगर याद रख - मेरा भी तो तुझपर क़र्ज़ हैं !!

स्वार्थी भेड़िये मुझे नोच नोच कर खा रहे हैं !
अपना दीन ईमान सब बेच रहे हैं !!

रोम रोम मेरा काँप रहा  !
क्योंकि मेरा लाल अभी सो रहा !!

वर्दी वालो ने वर्दी बेच दी !
नेताओ ने शर्म बेच दी !!

कोई धर्म के नाम पर गरिया रहा !
कोई जात पात की रोटियां सेंक रहा !!

देख कर मेरे घर की हालात !
अदना पडोसी भी धमका रहा !!

चाल दुश्मन चल रहा ,भाई भाई में फूट डाल रहा  !
गंगा जमुना की तहजीब में विष कोई घोल रहा !!

माँ बहनो की इज्जत से रोज़ खिलवाड़ हो रहा !
क्योंकि मेरा लाल अभी सो रहा !!

अब भी अगर न उठा तू , बहुत देर हो जाएगी !

तेरी "भारत माता" फिर से गुलामी की जंजीरो में जकड जायेगी !! 

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