Friday, October 21, 2016

हिटो ददा भूली , हिटो भे -बेणियओ ( कुमाउँनी कविता )




हिटो ददा भूली , हिटो भे -बेणियओ- पहाड़ बुलौनी !
नौव ठण्ड पाणी , बांज बूझाणी - सब धात लगौनी !!

पौरो  की बखई, धार मी कौ घाम - सब तरसनि !
गद्दुआ का झाल , उ भट्टाक डुबुक - तुमर राह देखणी !!

आलूक गुटुक - काकड़ फूलुन - तुमकू बुलौनी !
का छा रे नान्तिनो - गोल्ज्यू और गंगनाथ ज्यूँ बुलौनी !!

आमेक बुबु फसक - गुड़ कटक चाह -धरिये रौनी !
आपण नान्तिनो लीजि पहाड़ आंस बहूनि !!

Friday, October 7, 2016

बहरूपिये


इधर उधर - यहाँ वहाँ बहरूपिये घूम रहे हैं !
अंदर से कुछ और , बाहर से कुछ और - अपने मौके ढूंढ रहे हैं !!

शेर की खाल का लबादा ओढे बहुत सियार  घूम रहे हैं !
बचा के रखो खुद को , दोस्त बनकर कुछ दुश्मन खंजर लिए घूम रहे हैं !! 

रिश्ते नाते , सच्चाई को ताक पर रख रहे है !
कुछ लोग भरे बाजार चंद रुपयो में ईमान बेच रहे हैं !!

दौर गजब का चल रहा हैं !
नालायकी शबाब पर और लायक बड़ी मुश्किल से गुजर बसर कर रहे हैं !!

सही रास्ते पर चलने की सीख देने वाला दकियानूसी हैं !
बरगलाने वाले  - शुभचिंतक बन रहे हैं !! 

सच्चे और ईमानदार अभी भी चुपचाप  नेक काम कर रहे हैं !
बहरूपिये ताल ठोककर अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं !! 

Wednesday, October 5, 2016

बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं


झूठे को बढ़ावा , सच को अनदेखा करने का !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं      !!

देश के लिए शहीद होने वालो के लिए चुप्पी , देशद्रोही की मौत पर हंगामा  करने का !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं    !!

समाज को जो सुधारने चलता हैं उसके पीछे कोई नहीं , फरेबी और मक्कारो के पीछे भीड़ !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!

 माँ -बाप के सुझावों की अनदेखी , पराये लोगो की सलाह को बच्चो को लेते देखा हैं !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!  

परिवार के बीच एक छत के नीचे ख़ामोशी को पसरा देखा, फोन पर मायावी दुनिया में शोर होते देखा हैं !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!

विषय की जानकारी भले ही शून्य हो , मगर ताल ठोककर अपनी राय देते सुना हैं !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!

शेरो को झुण्ड में और गीदड़ो को दहाड़ते सुना हैं !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!

कर्मयोगी का तिरस्कार और कामचोरों को पुरुष्कार लेते देखा हैं !
बड़ा अजीब चलन चलते देखा हैं !!