Thursday, December 22, 2016

कवि और कविता

जो देखता हूँ , वो लिखता हूँ !
शब्दो को आड़े तिरछे - आगे पीछे पिरोता हूँ !!

जो महसूस होता हैं !
शब्दो के जरिये बयां करता हूँ !!

अपने को कवि नहीं कहता  !
फिर भी कविताये लिखने का प्रयास करता हूँ !!

खालिस कवि तो विरला होता हैं !
वो शब्दो को मोती बना कविता को पिरोता हैं !!

कल्पना को अपनी शब्दो में जीवंत करता हैं !
एक  एक शब्द से पूरा सार गढ़ता हैं !! 

कभी भावनाओ के अतिरेक में बह कर विद्रोही सा लगता हैं !
कभी किसी विषय पर आँखों के कोरे गीली कर देता हैं !!

कवियों का संसार भी अजब हैं !
हर कोई दिल से यायावर और मस्तमौला हैं !!

हर चीज में उन्हें कविता सूझ जाती हैं !
ज़िन्दगी की  इस आपाधापी में भी  कलम बेबाक चलती हैं !!

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