Monday, May 29, 2017

सफरनामा



कुछ पाने की खातिर निकला, 
पीछे बहुत कुछ छूट गया , 
ज़िन्दगी को बेहतर बनाने निकला , 
ज़िन्दगी का मतलब भूल गया।  

अब रोज़ फासले बढ़ते जा रहे हैं , 
हम मशीन बनते जा रहे हैं , 
जिस ज़िन्दगी को पाने निकले थे इक दिन , 
उससे दूर रोज़ जा रहे हैं।  

खुशियाँ मिल रही हैं जरूर , 
मगर न जाने क्यू फीकी सी लग रही हैं , 
शायद इस भागभागम में , 
"डायबिटीज " हो गयी हैं।  

Wednesday, May 24, 2017

हाइकू - भाग -३

धन , दौलत और जवानी ,
किसी की सगी नहीं होती ,
आज इसके घर , कल उसके घर। 
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दौलत और ताकत ,
वालो के लिए एक नसीहत ,
सिर्फ 'कर्म " जायेंगे साथ ऊपर। 
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ज़िन्दगी ,
सबसे क्षणभंगुर हैं ,
सिर्फ साँसो पर टिकी हैं। 
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कुदरत का एक ही वार ,
काफी हैं इंसान को ,
अपनी हद में रहने के लिए। 
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तंग आकर इस्तीफा लिखा  ,
तभी घर से फ़ोन गया ,

अगले महीने बहन की शादी तय हो गयी हैं।  
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Wednesday, May 17, 2017

हाइकू -२

"सब माया हैं "
कहने वाले गुरु जी ,
तिरछी निगाह से दानपेटी पर नजरे  गड़ाए थे। 
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भाई -बहन रिमोट के लिए झगड़ रहे थे ,
माँ ने बेटी से कहा ,
" भाई को दे दे ,तू खाना बना।  "

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कार ने रिक्शे को टक्कर मारी  ,
भीड़ कार पर खरोच देखकर ,
आगे बढ़ गयी। 
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बारात में सब खुश थे ,
दुल्हन के पिता पर दोहरी मार थी ,
प्यारी बिटिया और ज़िन्दगी भर की कमाई जा रही थी। 
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बूढ़े माँ बाप के इकलौते बेटे को ,
“घर छोटा  हैंकहकर ,
बहु पति के साथ नए घर में चल दी।  

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दो भाइयो ने जमकर मेहनत की ,
कंपनी खड़ी की ,
उनके बेटो में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गयी। 

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साथ जीने मरने की कसम ,
प्रेमी की नौकरी जाते ही ,
स्वाहा हो गयी। 


Tuesday, May 16, 2017

हाइकू

फेसबुक पर दोस्त बने ,
व्हाट्सप्प पर खूब सपने सजे ,
मुलाकात हुई , रिश्ता ख़त्म।  
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भ्रस्टाचार  मिटा के ही दम लेंगे ,
कहने वाले नेताजी ,
ट्रैफिक पुलिस को सौ रुपए दे रहे थे ।
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नारी सशक्तिकरण पर भाषण देकर  ,
एक सज्जन घर पर अपनी बीवी को ,
बिटिया को कॉलेज न भेजने की सलाह दे रहे थे।  
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मैनेजर  जूनियर को समझा रहा था ,
घर बार सब भूल जाओ ,

दो घंटे से ऑफिस के फोन से घर बतिया रहा था।    

Friday, May 5, 2017

शब्द

शब्द -
प्यार हैं - तकरार भी,
शांति हैं - संहार भी, 
आदर भी हैं - अपमान भी।

शब्द ,
गति  है - ठहराव भी, 
उजाला है - अंधकार भी ,
भरोसा भी हैं , विश्वासघात भी।

शब्द -
ममता  हैं - दुत्कार भी ,
प्रेरणा  हैं - तिरस्कार भी,
नम्रता भी हैं -  घमंड भी।

शब्द -
मित्र  हैं- शत्रु भी,
मरहम  है - घाव भी,
आकाश  हैं - पाताल भी।

शब्द -
गीता है , महाभारत भी ,
ख़ुशी है - गम भी ,
पीड़ा है , मरहम भी। 

शब्द-
पसंद है - घृणा भी ,
मित्र है - दुश्मन भी ,
आधार है - शून्य भी।