Monday, August 14, 2017

आज़ादी के सत्तर वर्ष


आज़ादी को सत्तर वर्ष बीत गए
हम अभी तक  धर्म संप्रदाय में उलझे रहे
दुनिया ने तरक्की के नए आयाम गढ़  लिए
हम अभी तक  " बेटी बचाओ" में फंसे रहे।  

हम मेहनत की कमाई से टैक्स भरते रहे
वो हमारे पैसो से मौज उड़ाते रहे।  
हम जनता " भाईचारा " बनाते चले
वो " फूट  डालो " की नीति पर चलते रहे
आज़ादी को हमारे सत्तर वर्ष बीत गए।  

जनता के लिए - जनता द्वारा - जनता से
सरकार को हमारी सत्तर साल हो गए
गरीब जनता से चुने हुए उसके ही प्रतिनिधि
जाने कब से उसकी किस्मत के "ठेकेदार" हो गए
देखते देखते - आज़ादी को हमारे सत्तर वर्ष बीत गए।

हो सके तो इस दिवस पर - तिरंगे को ध्यान से देखना
इसके लाल रंग में करोडो का बलिदान देखना , 
हरे रंग में सबकी खुशहाली देख लेना , 
चक्र से सबकी प्रगति का मंत्र सीख लेना , 
ध्वज को थामे हुए अपने को देख लेना , 
आज़ादी का सही मतलब खुद ही समझ लेना।  



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