Wednesday, September 6, 2017

लक्ष्य



धीरे धीरे ही सही , 
आगे बढ़ रहा हूँ।  
रुक रुक कर ही सही , 
पैरो को अपने साध रहा हूँ। . 

आते हैं अवरोध , 
मगर उद्देश्य को हमेशा याद रखता हूँ ।    
सुनाने वाले बहुत हैं , 
मगर हर बात को दिल पर नहीं लेता हूँ।  

मुझे अपने पर यकीन हैं , 
ईश्वर को हमेशा साथ रखता हूँ।  
शुभचिंतको की दुआएँ बहुत हैं , 
इसलिए हर बार गिरकर उठता हूँ।  

देर होगी मगर अंधेर नहीं , 
हर निराशा का अंत करता हूँ।  
थोड़ा पीछे रह भी गया अभी तो क्या , 
दौड़ के अंत में अपनी विजय देखता हूँ।  

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