Wednesday, November 15, 2017

नया दौर

कुछ अलग आबो हवा है , 
इस दौर की , 
हर कोई मशरूफ है।  

लद गए वो दिन , 
बेतकल्लुफ़ी के , 
कदम कदम पर अब नजर हैं।  

बेफिजूल चीजों के लिए, 
वक्त ही वक्त है, 
काम की चीजों के लिए वक्त कम है।  

ज्ञान बाँट रहे प्रपंची , 
विद्यवानो की पूछ , 
जरा कम है।  

सियासतदारो को खबर है , 
उछालते रहो ऊलजलूल मुद्दे , 
जनता जनार्दन की याददाश्त जरा कम है।  

युवा देश का भविष्य है , 
उसे इस बात की कहा खबर है ,
ऑनलाइन दुनिया में व्यस्त है।  

तू डाल डाल ,
मैं पात पात , 
कि अजब, आजकल लड़ाई है।  

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